,,चंडीगढ़. श्याम सरन नेगी एक साधारण सा नाम है, लेकिन आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि देश के लोकतंत्र की बुनियाद 98 साल के श्याम सरन नेगी ने ही रखी। वह स्वतंत्र भारत के पहले वोटर हैं, जिन्होंने 25 अक्टूबर 1951 में वोट किया। भारत के आजाद होने के बाद देशभर में 21 फरवरी 1952 को आम चुनाव हुए लेकिन हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के 'चिनीà गांव (अब गांव का नाम कल्पा है) में इन चुनावों से चार महीने पहले यानी 25 अक्टूबर 1951 को चुनाव हुए थे। ऐसा इसलिए क्योंकि बर्फबारी में यह जनजातीय इलाका भारत से कटा रहता है और बर्फबारी में चुनाव कराना मुमकिन नहीं था।
भास्कर से बातचीत में उन्होंने अपनी जिदंगी की अहम बातें साझा की। 34 साल की उम्र में नेगी ने पहली बार वोट डाली थी। अब उनकी उम्र चाहे 98 के पार है, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने वोट न डाली हो। चुनाव चाहे पंचायत के हों या फिर लोकसभा के लेकिन नेगी ने हर बार वोट डाला। किन्नौर के एमएलए जगत सिंह नेगी ने कहते हैं कि हमारे गांव के लिए गर्व की बात है कि श्याम सरन नेगी भारत के पहले मतदाता हैं। जिस स्कूल पहली बार मतदान हुआ वह अंग्रेजों के जमाने में वर्ष 1890 में खोला गया था।
स्कूल टीचर रहे हैं नेगी
अंगे्रजों के जमाने में नेगी ने फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी की। 1939 से 1946 तक यह नौकरी को करने के बाद वर्ष 1947 में टीचर का कार्यभार संभाला। स्वतंत्र भारत के चुनाव घोषित हुए तो नेगी को इलेक्शन ड्यूटी दी गई। 25 अक्टूबर की सुबह सबसे पहले वह ड्यटी पर पहुंचे और मतदान शुरू हुआ तो सबसे पहले वोट डाला। खास बात यह है कि जिस प्राइमरी स्कूल में यह मतदान केंद्र बना था वह 1890 में अंग्रेजों के जमाने में खुला था और इसी स्कूल में नेगी स्टूडेंट्स को हिंदी और हिसाब पढ़ाते थे।
फूलों की होगी बरसात
मतदान के दिन श्याम सुंदर नेगी वोट डालने आएंगे तो उनके स्वागत के लिए खुद डीसी डीडी शर्मा उपस्थित रहेंगे। जब वह परिवार सहित पहुंचेंगे तो उन्हें हिमाचली टोपी पहनाकर उनका सम्मान किया जाएगा। उन पर फूल बरसाए जाएंगे। उनके लिए रेड कारपेट बिछाया जाएगा।
1947 में मिलती थी 15 रुपए सैलेरी
नेगी ने बताया कि मैंने जब 1947 में टीचर की नौकरी ज्वाइन की तो मुझे 15 रुपए सैलेरी मिलती थी और 1975 में जब रिटायर हुआ तो करीब 300 रुपए मिलते थे, तब हजारों रुपए की बातें तो हुआ ही नहीं करती थीं। जब पढ़ाना शुरू किया तो पूरे प्राइमरी स्कूल में 70 स्टूडेंट थे। मैं हिंदी, मैथ्स के साथ ही सभी सब्जेक्ट पढ़ाता था। जब मैं स्टूडेंट था तो इस स्कूल में सिर्फ चौथी तक क्लास होती थी और मैट्रिक तक की पढ़ाई करने के लिए रामपुर जाता था। चुनाव में हर बार वोट डाली और कई बार तो 17 किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता था। जब पहली बार वोट डाली तो कांग्रेस को दी क्योंकि तब कोई दूसरी पार्टी थी ही नहीं लेकिन उसके बाद भी हमेशा कांग्रेस को वोट डाली। हालांकि इस बार मुझे बीजेपी का पलड़ा भारी लग रहा है।
मतदान केंद्र को बनाएंगे नोडल सेंटर: शर्मा
किन्नौर के डिप्टी कमिश्नर डीडी शर्मा ने बताया कि जिस स्कूल के मतदान केंद्र मेें उन्होंने पहली बार वोट डाला उसको नोडल सेंटर बनाया जाएगा। इस सेंटर के रेनोवेशन का काम चल रहा है और इसमें कई तरह की सुविधाएं वोट्र्स को दी जाएंगी। लाहौल स्पीति के निवासी व हिमाचल प्रदेश के रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी एएन विद्यार्थी ने कहा कि बर्फबारी के मौसम में यहां आम चुनाव होते ही नहीं क्योंकि ट्राइबल इलाका होने के कारण यह 6 महीने बंद रहता है इसलिए यहां चुनाव अक्टूबर 1951 में हुए थे। हिमाचल में वोटर अवेयरनेस कार्यक्रम के ओएसडी नीरज शर्मा ने कहा कि सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक नेगी पहले वोटर हैं।चंडीगढ़. श्याम सरन नेगी एक साधारण सा नाम है, लेकिन आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि देश के लोकतंत्र की बुनियाद 98 साल के श्याम सरन नेगी ने ही रखी। वह स्वतंत्र भारत के पहले वोटर हैं, जिन्होंने 25 अक्टूबर 1951 में वोट किया। भारत के आजाद होने के बाद देशभर में 21 फरवरी 1952 को आम चुनाव हुए लेकिन हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के 'चिनीà गांव (अब गांव का नाम कल्पा है) में इन चुनावों से चार महीने पहले यानी 25 अक्टूबर 1951 को चुनाव हुए थे। ऐसा इसलिए क्योंकि बर्फबारी में यह जनजातीय इलाका भारत से कटा रहता है और बर्फबारी में चुनाव कराना मुमकिन नहीं था।
भास्कर से बातचीत में उन्होंने अपनी जिदंगी की अहम बातें साझा की। 34 साल की उम्र में नेगी ने पहली बार वोट डाली थी। अब उनकी उम्र चाहे 98 के पार है, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने वोट न डाली हो। चुनाव चाहे पंचायत के हों या फिर लोकसभा के लेकिन नेगी ने हर बार वोट डाला। किन्नौर के एमएलए जगत सिंह नेगी ने कहते हैं कि हमारे गांव के लिए गर्व की बात है कि श्याम सरन नेगी भारत के पहले मतदाता हैं। जिस स्कूल पहली बार मतदान हुआ वह अंग्रेजों के जमाने में वर्ष 1890 में खोला गया था।
स्कूल टीचर रहे हैं नेगी
अंगे्रजों के जमाने में नेगी ने फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी की। 1939 से 1946 तक यह नौकरी को करने के बाद वर्ष 1947 में टीचर का कार्यभार संभाला। स्वतंत्र भारत के चुनाव घोषित हुए तो नेगी को इलेक्शन ड्यूटी दी गई। 25 अक्टूबर की सुबह सबसे पहले वह ड्यटी पर पहुंचे और मतदान शुरू हुआ तो सबसे पहले वोट डाला। खास बात यह है कि जिस प्राइमरी स्कूल में यह मतदान केंद्र बना था वह 1890 में अंग्रेजों के जमाने में खुला था और इसी स्कूल में नेगी स्टूडेंट्स को हिंदी और हिसाब पढ़ाते थे।
फूलों की होगी बरसात
मतदान के दिन श्याम सुंदर नेगी वोट डालने आएंगे तो उनके स्वागत के लिए खुद डीसी डीडी शर्मा उपस्थित रहेंगे। जब वह परिवार सहित पहुंचेंगे तो उन्हें हिमाचली टोपी पहनाकर उनका सम्मान किया जाएगा। उन पर फूल बरसाए जाएंगे। उनके लिए रेड कारपेट बिछाया जाएगा।
1947 में मिलती थी 15 रुपए सैलेरी
नेगी ने बताया कि मैंने जब 1947 में टीचर की नौकरी ज्वाइन की तो मुझे 15 रुपए सैलेरी मिलती थी और 1975 में जब रिटायर हुआ तो करीब 300 रुपए मिलते थे, तब हजारों रुपए की बातें तो हुआ ही नहीं करती थीं। जब पढ़ाना शुरू किया तो पूरे प्राइमरी स्कूल में 70 स्टूडेंट थे। मैं हिंदी, मैथ्स के साथ ही सभी सब्जेक्ट पढ़ाता था। जब मैं स्टूडेंट था तो इस स्कूल में सिर्फ चौथी तक क्लास होती थी और मैट्रिक तक की पढ़ाई करने के लिए रामपुर जाता था। चुनाव में हर बार वोट डाली और कई बार तो 17 किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता था। जब पहली बार वोट डाली तो कांग्रेस को दी क्योंकि तब कोई दूसरी पार्टी थी ही नहीं लेकिन उसके बाद भी हमेशा कांग्रेस को वोट डाली। हालांकि इस बार मुझे बीजेपी का पलड़ा भारी लग रहा है।
मतदान केंद्र को बनाएंगे नोडल सेंटर: शर्मा
किन्नौर के डिप्टी कमिश्नर डीडी शर्मा ने बताया कि जिस स्कूल के मतदान केंद्र मेें उन्होंने पहली बार वोट डाला उसको नोडल सेंटर बनाया जाएगा। इस सेंटर के रेनोवेशन का काम चल रहा है और इसमें कई तरह की सुविधाएं वोट्र्स को दी जाएंगी। लाहौल स्पीति के निवासी व हिमाचल प्रदेश के रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी एएन विद्यार्थी ने कहा कि बर्फबारी के मौसम में यहां आम चुनाव होते ही नहीं क्योंकि ट्राइबल इलाका होने के कारण यह 6 महीने बंद रहता है इसलिए यहां चुनाव अक्टूबर 1951 में हुए थे। हिमाचल में वोटर अवेयरनेस कार्यक्रम के ओएसडी नीरज शर्मा ने कहा कि सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक नेगी पहले वोटर हैं।चंडीगढ़. श्याम सरन नेगी एक साधारण सा नाम है, लेकिन आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि देश के लोकतंत्र की बुनियाद 98 साल के श्याम सरन नेगी ने ही रखी। वह स्वतंत्र भारत के पहले वोटर हैं, जिन्होंने 25 अक्टूबर 1951 में वोट किया। भारत के आजाद होने के बाद देशभर में 21 फरवरी 1952 को आम चुनाव हुए लेकिन हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के 'चिनीà गांव (अब गांव का नाम कल्पा है) में इन चुनावों से चार महीने पहले यानी 25 अक्टूबर 1951 को चुनाव हुए थे। ऐसा इसलिए क्योंकि बर्फबारी में यह जनजातीय इलाका भारत से कटा रहता है और बर्फबारी में चुनाव कराना मुमकिन नहीं था।
भास्कर से बातचीत में उन्होंने अपनी जिदंगी की अहम बातें साझा की। 34 साल की उम्र में नेगी ने पहली बार वोट डाली थी। अब उनकी उम्र चाहे 98 के पार है, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने वोट न डाली हो। चुनाव चाहे पंचायत के हों या फिर लोकसभा के लेकिन नेगी ने हर बार वोट डाला। किन्नौर के एमएलए जगत सिंह नेगी ने कहते हैं कि हमारे गांव के लिए गर्व की बात है कि श्याम सरन नेगी भारत के पहले मतदाता हैं। जिस स्कूल पहली बार मतदान हुआ वह अंग्रेजों के जमाने में वर्ष 1890 में खोला गया था।
स्कूल टीचर रहे हैं नेगी
अंगे्रजों के जमाने में नेगी ने फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी की। 1939 से 1946 तक यह नौकरी को करने के बाद वर्ष 1947 में टीचर का कार्यभार संभाला। स्वतंत्र भारत के चुनाव घोषित हुए तो नेगी को इलेक्शन ड्यूटी दी गई। 25 अक्टूबर की सुबह सबसे पहले वह ड्यटी पर पहुंचे और मतदान शुरू हुआ तो सबसे पहले वोट डाला। खास बात यह है कि जिस प्राइमरी स्कूल में यह मतदान केंद्र बना था वह 1890 में अंग्रेजों के जमाने में खुला था और इसी स्कूल में नेगी स्टूडेंट्स को हिंदी और हिसाब पढ़ाते थे।
फूलों की होगी बरसात
मतदान के दिन श्याम सुंदर नेगी वोट डालने आएंगे तो उनके स्वागत के लिए खुद डीसी डीडी शर्मा उपस्थित रहेंगे। जब वह परिवार सहित पहुंचेंगे तो उन्हें हिमाचली टोपी पहनाकर उनका सम्मान किया जाएगा। उन पर फूल बरसाए जाएंगे। उनके लिए रेड कारपेट बिछाया जाएगा।
1947 में मिलती थी 15 रुपए सैलेरी
नेगी ने बताया कि मैंने जब 1947 में टीचर की नौकरी ज्वाइन की तो मुझे 15 रुपए सैलेरी मिलती थी और 1975 में जब रिटायर हुआ तो करीब 300 रुपए मिलते थे, तब हजारों रुपए की बातें तो हुआ ही नहीं करती थीं। जब पढ़ाना शुरू किया तो पूरे प्राइमरी स्कूल में 70 स्टूडेंट थे। मैं हिंदी, मैथ्स के साथ ही सभी सब्जेक्ट पढ़ाता था। जब मैं स्टूडेंट था तो इस स्कूल में सिर्फ चौथी तक क्लास होती थी और मैट्रिक तक की पढ़ाई करने के लिए रामपुर जाता था। चुनाव में हर बार वोट डाली और कई बार तो 17 किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता था। जब पहली बार वोट डाली तो कांग्रेस को दी क्योंकि तब कोई दूसरी पार्टी थी ही नहीं लेकिन उसके बाद भी हमेशा कांग्रेस को वोट डाली। हालांकि इस बार मुझे बीजेपी का पलड़ा भारी लग रहा है।
मतदान केंद्र को बनाएंगे नोडल सेंटर: शर्मा
किन्नौर के डिप्टी कमिश्नर डीडी शर्मा ने बताया कि जिस स्कूल के मतदान केंद्र मेें उन्होंने पहली बार वोट डाला उसको नोडल सेंटर बनाया जाएगा। इस सेंटर के रेनोवेशन का काम चल रहा है और इसमें कई तरह की सुविधाएं वोट्र्स को दी जाएंगी। लाहौल स्पीति के निवासी व हिमाचल प्रदेश के रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी एएन विद्यार्थी ने कहा कि बर्फबारी के मौसम में यहां आम चुनाव होते ही नहीं क्योंकि ट्राइबल इलाका होने के कारण यह 6 महीने बंद रहता है इसलिए यहां चुनाव अक्टूबर 1951 में हुए थे। हिमाचल में वोटर अवेयरनेस कार्यक्रम के ओएसडी नीरज शर्मा ने कहा कि सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक नेगी पहले वोटर हैं।चंडीगढ़. श्याम सरन नेगी एक साधारण सा नाम है, लेकिन आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि देश के लोकतंत्र की बुनियाद 98 साल के श्याम सरन नेगी ने ही रखी। वह स्वतंत्र भारत के पहले वोटर हैं, जिन्होंने 25 अक्टूबर 1951 में वोट किया। भारत के आजाद होने के बाद देशभर में 21 फरवरी 1952 को आम चुनाव हुए लेकिन हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के 'चिनीà गांव (अब गांव का नाम कल्पा है) में इन चुनावों से चार महीने पहले यानी 25 अक्टूबर 1951 को चुनाव हुए थे। ऐसा इसलिए क्योंकि बर्फबारी में यह जनजातीय इलाका भारत से कटा रहता है और बर्फबारी में चुनाव कराना मुमकिन नहीं था।
भास्कर से बातचीत में उन्होंने अपनी जिदंगी की अहम बातें साझा की। 34 साल की उम्र में नेगी ने पहली बार वोट डाली थी। अब उनकी उम्र चाहे 98 के पार है, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने वोट न डाली हो। चुनाव चाहे पंचायत के हों या फिर लोकसभा के लेकिन नेगी ने हर बार वोट डाला। किन्नौर के एमएलए जगत सिंह नेगी ने कहते हैं कि हमारे गांव के लिए गर्व की बात है कि श्याम सरन नेगी भारत के पहले मतदाता हैं। जिस स्कूल पहली बार मतदान हुआ वह अंग्रेजों के जमाने में वर्ष 1890 में खोला गया था।
स्कूल टीचर रहे हैं नेगी
अंगे्रजों के जमाने में नेगी ने फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी की। 1939 से 1946 तक यह नौकरी को करने के बाद वर्ष 1947 में टीचर का कार्यभार संभाला। स्वतंत्र भारत के चुनाव घोषित हुए तो नेगी को इलेक्शन ड्यूटी दी गई। 25 अक्टूबर की सुबह सबसे पहले वह ड्यटी पर पहुंचे और मतदान शुरू हुआ तो सबसे पहले वोट डाला। खास बात यह है कि जिस प्राइमरी स्कूल में यह मतदान केंद्र बना था वह 1890 में अंग्रेजों के जमाने में खुला था और इसी स्कूल में नेगी स्टूडेंट्स को हिंदी और हिसाब पढ़ाते थे।
फूलों की होगी बरसात
मतदान के दिन श्याम सुंदर नेगी वोट डालने आएंगे तो उनके स्वागत के लिए खुद डीसी डीडी शर्मा उपस्थित रहेंगे। जब वह परिवार सहित पहुंचेंगे तो उन्हें हिमाचली टोपी पहनाकर उनका सम्मान किया जाएगा। उन पर फूल बरसाए जाएंगे। उनके लिए रेड कारपेट बिछाया जाएगा।
1947 में मिलती थी 15 रुपए सैलेरी
नेगी ने बताया कि मैंने जब 1947 में टीचर की नौकरी ज्वाइन की तो मुझे 15 रुपए सैलेरी मिलती थी और 1975 में जब रिटायर हुआ तो करीब 300 रुपए मिलते थे, तब हजारों रुपए की बातें तो हुआ ही नहीं करती थीं। जब पढ़ाना शुरू किया तो पूरे प्राइमरी स्कूल में 70 स्टूडेंट थे। मैं हिंदी, मैथ्स के साथ ही सभी सब्जेक्ट पढ़ाता था। जब मैं स्टूडेंट था तो इस स्कूल में सिर्फ चौथी तक क्लास होती थी और मैट्रिक तक की पढ़ाई करने के लिए रामपुर जाता था। चुनाव में हर बार वोट डाली और कई बार तो 17 किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता था। जब पहली बार वोट डाली तो कांग्रेस को दी क्योंकि तब कोई दूसरी पार्टी थी ही नहीं लेकिन उसके बाद भी हमेशा कांग्रेस को वोट डाली। हालांकि इस बार मुझे बीजेपी का पलड़ा भारी लग रहा है।
मतदान केंद्र को बनाएंगे नोडल सेंटर: शर्मा
किन्नौर के डिप्टी कमिश्नर डीडी शर्मा ने बताया कि जिस स्कूल के मतदान केंद्र मेें उन्होंने पहली बार वोट डाला उसको नोडल सेंटर बनाया जाएगा। इस सेंटर के रेनोवेशन का काम चल रहा है और इसमें कई तरह की सुविधाएं वोट्र्स को दी जाएंगी। लाहौल स्पीति के निवासी व हिमाचल प्रदेश के रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी एएन विद्यार्थी ने कहा कि बर्फबारी के मौसम में यहां आम चुनाव होते ही नहीं क्योंकि ट्राइबल इलाका होने के कारण यह 6 महीने बंद रहता है इसलिए यहां चुनाव अक्टूबर 1951 में हुए थे। हिमाचल में वोटर अवेयरनेस कार्यक्रम के ओएसडी नीरज शर्मा ने कहा कि सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक नेगी पहले वोटर हैं।
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